वो समय कुछ और था, ये समय कुछ और है ।
कैसे बीते ये कुछ दिन, मजबुरी का दौर है, वो समय कुछ और था, ये समय कुछ और है । गलती की कुछ मुर्खों ने, भोग रहा संसार है, कैद करके निर्दोषों को, घुम रहा वो दुष्ट चोर है, कैसे बीते ये कुछ दिन, मजबुरी का दौर है, वो समय कुछ और था, ये समय कुछ और है । देखो कैसे तड़प रहे है, मौत के इस षडयंत्र में, कांधा भी न…